इजराइल और हमास के बीच भीषण युद्ध पिछले तीन सप्ताह से जारी है। अब तक इस युद्ध में महिलाएं, बच्चे, वृद्ध समेत हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। जॉर्डन की तरफ से गाजा में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष पर विराम लगाने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि, इस प्रस्ताव को भारी मतों के साथ स्वीकार कर लिया गया। लेकिन भारत के इस मतदान से दूरी बनाए रखना चर्चा का विषय बन गया।
बता दे कि, जॉर्डन द्वारा पेश किए गए इस इजराइल- हमास संघर्ष में “तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम” प्रस्ताव में 120 देशों ने इसके समर्थन में मतदान किया। जबकि 14 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। वही भारत- ब्रिटेन उन 45 देश में शामिल रहे जिन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
भारत का इस मानवीय संघर्ष पर विराम के प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लेने की बड़ी वजह प्रस्ताव में आतंकवादी समूह हमास का जिक्र नहीं किया जाना बताया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों से भारत की कूटनीति आतंकवाद के खिलाफ रही है और प्रस्ताव में आतंकवादी समूह का कोई जिक्र नहीं किया गया है। जिस वजह से भारत ने मतदान से दूरी बनाए रखा।
भारत के समेत ऑस्ट्रेलिया, जापान, नीदरलैंड्स, ट्यूनीशिया, यूक्रेन, कनाडा, डेनमार्क, इथियोपिया, जर्मनी, ग्रीस, इराक़, इटली और ब्रिटेन सहित 45 देश इस मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे थे।
जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव से भारत ने मतदान करने से क्यों किया किनारा
भारत की राजनीति हमेशा विश्व शांति को बढ़ावा देने की ओर रहती है। लेकिन इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्धमें शांति स्थापित करने के लिए जॉर्डन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव पर भारत का मतदान नहीं किया जाना बडे़ चर्चा का विषय बन गया है। जॉर्डन की ओर से पेश किए गए इस प्रस्ताव में गाजा में इजराइल सेना और हमास के आतंकवादियों के बीच तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम में आतंकवादी हमले की चर्चा व निंदा नहीं किया जाना है। वसुदेव कुटुंबकम, विश्व शांति और मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर हमेशा स्पष्ट पक्ष रखने वाला भारत इस प्रस्ताव में मतदान से अनुपस्थित रहना ही उचित समझा।
इजराइल और हमास के बीच युद्ध की क्या है मुख्य वजह
इजरायल और हमास के बीच की गुत्थी को समझने से पहले हमें यह जानना होगा कि यह जंग के तीन प्रमुख अंग है:- इजरायल, फिलिस्तीन और हमास। 1948 में इजरायल बना। इस देश के बनने के साथ ही अरब देशों के साथ संबंध अच्छे नहीं थे। यूनाइटेड नेशन ने फिलिस्तीन और इजरायल के संबंध में सुधारने के लिए टू स्टेट प्लान लाया। फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन और यहूदियों के लिए इजरायल में बांटा गया। हालांकि, यह योजना कभी भी अमल न हो सका। इसके बाद वर्ष 1967 का युद्ध हो या फिर 1973 का अरब इजरायल जंग, कितने दिन में तो बोलेंगे
इजराइल हमलों का शिकार होने लगा। हालांकि, हर बार इजराइल ने न सिर्फ मुंह तोड़ जवाब दिया बल्कि अपनी स्थिति भी मजबूत करते हुए भौगोलिक तौर पर अपना आकार बढ़ाते गया। 1987 में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इजराइल को इस्लामिक स्टेट बनाने के मकसद से हमास नाम के संगठन की शुरुआत की। हमास का अंग्रेजी में मतलब इस्लामिक रजिस्ट्रेंश मूवमेंट है।
क्यों है इजराइल और हमास का युद्ध चर्चा में?
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर दिल दहला देने वाला हमला किया गया। इस हमले में लगभग 1400 इज़राइल नागरिकों की मारे जाने की बात कही जा रही है। इस हमले के बदले इजराइल लगातार गाजा में स्थित हमास के ठिकानों को ध्वस्त करने पर लगा है। जिस कारण इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जंग के जैसा माहौल उत्पन्न हो गया है।